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सङ्कटाचालीसा | sankata challis
सङ्कटाचालीसा
दोहा-
जगत जननि जगदम्बिके, अरज सुनहु अब मोर ।
बन्दौं पद-जुग ना सिर, विनय करौं कर जोर ।
चौपाई-
जय जय जय सङ्कटा भवानी ।
कृपा करहु मोपर महरानी ॥
हाथ खड्ग भृकुटी विकराला ।
अरुण नयन गल में रुण्डमाला ॥
कानन कुण्डल की छवि भारी
हिय हुलसे मन होत सुखारी ॥
केहरि वाहन है तव माता ।
कष्ट निवारो…